Thursday, April 18, 2019

एजेंसियों ने कहा- कस्टडी में भी ईस्टर मना सकता है मिशेल, कोर्ट ने जमानत खारिज की

नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की मांग को ध्यान में रखते हुए विशेष अदालत ने क्रिश्चियन मिशेल की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। मिशेल ने बुधवार को गुडफ्राइडे और ईस्टर मनाने के लिए सात दिन की अंतरिम जमानत की अर्जी दी थी। इस पर जांच एजेंसियों ने गुरुवार को कोर्ट से कहा कि मिशेल कस्टडी में रहते हुए भी ईस्टर मना सकता है। अगर वह बाहर जाकर कोई बयान देता है तो इससे जांच बेपटरी हो सकती है। मिशेल पर वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में 225 करोड़ रुपए की दलाली लेने का आरोप है।

मिशेल ने बुधवार को लगाई थी अर्जी
मिशेल ने 17 अप्रैल को ही कोर्ट में सात दिन की अंतरिम जमानत के लिए अर्जी दी थी। इसमें कहा गया कि मिशेल परिवार के साथ गुड फ्राइडे और ईस्टर मनाना चाहता है। 

जांच एजेंसियों (ईडी और सीबीआई) की ओर से विशेष पब्लिक प्रॉसिक्यूटर डीपी सिंह ने पैरवी की जबकि वकील विष्णु शंकर ने मिशेल का पक्ष रखा।

डीपी सिंह ने कहा, ''भारत त्योहारों का देश है। हर कैदी की अपने धर्म में आस्था है। हम उसे केवल त्योहार मनाने के लिए जेल से बाहर जाने की अनुमति नहीं दे सकते।''

ईडी ने कहा, ''ऐसा कोई आधार नहीं है, जिसके बूते आवेदक को जमानत दी जाए।'' विष्णु शंकर ने कहा, ''ईडी के द्वारा चार्जशीट दायर की जा चुकी है। ऐसे में सबूतों के साथ छेड़छाड़ किए जाने का सवाल नहीं उठता।''

वकील ने कहा, ''एजेंसी ने बीते साल क्रिसमस के दौरान मिशेल से पूछताछ की थी। तब भी उसने जांच में पूरा सहयोग किया था।''

यूआईडीएआई की ओर से दर्ज़ शिकायत में बताया गया है, ''हमें 2 मार्च 2019 को एक शिकायत प्राप्त हुई जिसमें बताया गया कि आंध्र प्रदेश सरकार ने सेवा मित्र ऐप के ज़रिए सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों, वोटर आईडी और आधार की जानकारी जुटाई और उनका ग़लत इस्तेमाल किया. जांच के दौरान हमने पाया कि ऐप के ज़रिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोगों के वोटर आईडी और आधार की जानकारियां इकट्ठा की गई थीं. अपने तलाशी अभियान के दौरान हमने आईटी ग्रिड्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड के परिसर से चार हार्ड डिस्क बरामद की. उन हार्ड डिस्क को तेलंगाना फ़ॉरेंसिक साइंस लैब में जांच के लिए भेजा गया.

जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि इन चार हार्ड डिस्क में अच्छी खासी संख्या में लोगों के आधार कार्ड की जानकारियां थीं. शिकायतकर्ता लोकेश्वर रेड्डी सहित कई लोगों की जानकारियां उन हार्ड डिस्क में मिली. हमारा मानना है कि इस तमाम डेटा को या तो केंद्रीय पहचान डेटा कोष या फिर राज्य डेटा रेजिडेंट हब से हटा दिया गया है.''

आधार नियम 2016 के अनुसार यह अनुच्छेद 38(जी) और 38(एच) के तहत डेटा चोरी का अपराध है. इसके साथ ही सूचना क़ानून 2000 की धारा 29(3) के अनुसार सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों का डेटा निकालना भी अपराध है. पत्र होता है जिसके ज़रिए किसी व्यक्ति के कहीं जाने या फिर मृत्यु होने से उसके नाम को निर्वाचक सूची में जोड़ा या हटाया जाता है.

हरि कृष्णा कहते हैं, ''जगनमोहन रेड्डी ने नेल्लोर की एक आम सभा में खुद यह कहा कि उनकी पार्टी ने फॉर्म-7 की अपील दायर की है. तो ऐसे में यह सवाल कैसे उठता है कि हम वोटरों के नाम काट रहे हैं. जो मामला दर्ज़ हुआ है वह ग़लत है. हमने बैंक खातों से जानकारियां नहीं जुटाई हैं. अगर उनके पास इन आरोपों को साबित करने के लिए सबूत हैं तो वे पेश करें.''

उन्होंने कहा, ''सेवा मित्र ऐप को चलाने के लिए डेटा चोरी किया गया. यह बिलकुल ग़लत है. ना सिर्फ आधार डेटा बल्की वोटरों की रंगीन आईडी भी ली गई. कई लोगों के बैंक खातों की जानकारियां ली गईं. इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए.''

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